दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि एक शादी (Marriage) जहां न तो भावनाओं का आदान-प्रदान होता है, न ही सपनों, खुशियों, दुखों, यादों (खुश या उदास) को साझा किया जाता है, केवल एक कानूनी बंधन (Legal Bond) है.
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